आखिर हम क्यों मनाते है गणतंत्र दिवस. ??
दसअसल वर्ष 1929 में पं जवाहर लाल नेहरू जी की अध्यक्षा में भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस का एक अधिवेशन हुआ और उसमें डोमिनियन स्टेटस यानि पूर्ण स्वराज को लेकर मॉग उठी लेकिन अंग्रेजों ने इसे मानने से इन्कार दिया और कहा भारत अभी डोमिनियन स्टेटस के लिए तैयार नहीं है तो नेहरू जी ने कहा कि अगर वर्ष 1930 के जनवरी माह के अंतिम रविवार तक अंग्रेजों ने देश को डोमिनियन स्टेटस घोषित नहीं किया तो भारत अपने आप को डोमिनियन स्टेटस घोषित कर देगा और यही हुआ देश ने 1930 के अंतिम रविवार को डोमिनियन स्टेटस घोषित कर दिया उस वर्ष जनवरी माह की अंतिम रविवार 26 तारीख को था इस दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने रावि नदी के किनारे तिरंगा फहराया इसके साथ ही हमारा संविधान जो 26 नबम्वर 1949 में ही बनकर तैयार हो गया था उसे भी 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर लागू किया गया तब से लेकर आज तक प्रत्येेेक वर्ष गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही मनाया जाता है|
68 वर्ष पूर्व ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता संघर्ष के बाद भारतीय संविधान लागू हुआ। 1 9 47 में भारत को आजादी मिलने के बाद भारत में एक निश्चित या स्थायी संविधान नहीं था। इस दिन भारत के पहले राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली थी। इस दिन, तब से, हमारे लिए बहुत महत्व रखता है गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या भारत के राष्ट्रपति द्वारा बनाई गई एक भाषण से चिह्नित है और 26 जनवरी को नई दिल्ली में राजपत में एक भव्य परेड आयोजित किया जाता है।
एक 'गणतंत्र' भारत ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिए कुछ 200 साल का संघर्ष का परिणाम था। इस अवधि में कई उल्लेखनीय व्यक्तियों ने देखा जो स्वतंत्रता आंदोलन के लिए खड़े थे। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रवाद की भावना और प्रेरित देशभक्तिवाद को अपने सच्चे स्व में उखाड़ा।
आज आपको एक देश भक्त की गाथा सुनाना चाहती हु ....
मातृभूमि की रक्षा हेतु असंख्य विरो ने अपने जीवन की आहुति दी थी| इस देश को देश प्रेमियों ने अपनी धरती को स्वतंत्रता दिलाने के लिए स्वम् को न्योछावर कर दिया था| इन्ही देश प्रेमियों के त्याग और बलिदान के परिणाम में आज हमारा देश स्वतंत्र और गणतांत्रिक देश बना है.
13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग की घटना ने भगत सिंह और उधम सिंह जैसे क्रांतिकारीयो को जन्म दिया था| उस घटना के दौरान जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश फौज ने कई मासूम हिन्दुस्तानियों को मार डाला था.
इस घटना के बाद सभी हिन्दुस्तानियों का दिल आजादी पाने की आग में जलने लगा था| लोग अपनी जान की बलिदानी तक देश को देने को त्यार थे.26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारीयो ने यह शपथ ली थी की जब तक भारत स्वतंत्र नहीं हो जाता तब तक यह आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा तथा 15 अगस्त 1947 को भारत देश को आजादी मिली और 26 जनवरी 1950 को भारत देश को लोकतान्त्रिक गणराज्य देश के रूप में घोषित किया गया.
दसअसल वर्ष 1929 में पं जवाहर लाल नेहरू जी की अध्यक्षा में भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस का एक अधिवेशन हुआ और उसमें डोमिनियन स्टेटस यानि पूर्ण स्वराज को लेकर मॉग उठी लेकिन अंग्रेजों ने इसे मानने से इन्कार दिया और कहा भारत अभी डोमिनियन स्टेटस के लिए तैयार नहीं है तो नेहरू जी ने कहा कि अगर वर्ष 1930 के जनवरी माह के अंतिम रविवार तक अंग्रेजों ने देश को डोमिनियन स्टेटस घोषित नहीं किया तो भारत अपने आप को डोमिनियन स्टेटस घोषित कर देगा और यही हुआ देश ने 1930 के अंतिम रविवार को डोमिनियन स्टेटस घोषित कर दिया उस वर्ष जनवरी माह की अंतिम रविवार 26 तारीख को था इस दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने रावि नदी के किनारे तिरंगा फहराया इसके साथ ही हमारा संविधान जो 26 नबम्वर 1949 में ही बनकर तैयार हो गया था उसे भी 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर लागू किया गया तब से लेकर आज तक प्रत्येेेक वर्ष गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही मनाया जाता है|
68 वर्ष पूर्व ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता संघर्ष के बाद भारतीय संविधान लागू हुआ। 1 9 47 में भारत को आजादी मिलने के बाद भारत में एक निश्चित या स्थायी संविधान नहीं था। इस दिन भारत के पहले राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली थी। इस दिन, तब से, हमारे लिए बहुत महत्व रखता है गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या भारत के राष्ट्रपति द्वारा बनाई गई एक भाषण से चिह्नित है और 26 जनवरी को नई दिल्ली में राजपत में एक भव्य परेड आयोजित किया जाता है।
एक 'गणतंत्र' भारत ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिए कुछ 200 साल का संघर्ष का परिणाम था। इस अवधि में कई उल्लेखनीय व्यक्तियों ने देखा जो स्वतंत्रता आंदोलन के लिए खड़े थे। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रवाद की भावना और प्रेरित देशभक्तिवाद को अपने सच्चे स्व में उखाड़ा।
आज आपको एक देश भक्त की गाथा सुनाना चाहती हु ....
मातृभूमि की रक्षा हेतु असंख्य विरो ने अपने जीवन की आहुति दी थी| इस देश को देश प्रेमियों ने अपनी धरती को स्वतंत्रता दिलाने के लिए स्वम् को न्योछावर कर दिया था| इन्ही देश प्रेमियों के त्याग और बलिदान के परिणाम में आज हमारा देश स्वतंत्र और गणतांत्रिक देश बना है.
13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग की घटना ने भगत सिंह और उधम सिंह जैसे क्रांतिकारीयो को जन्म दिया था| उस घटना के दौरान जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश फौज ने कई मासूम हिन्दुस्तानियों को मार डाला था.
इस घटना के बाद सभी हिन्दुस्तानियों का दिल आजादी पाने की आग में जलने लगा था| लोग अपनी जान की बलिदानी तक देश को देने को त्यार थे.26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारीयो ने यह शपथ ली थी की जब तक भारत स्वतंत्र नहीं हो जाता तब तक यह आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा तथा 15 अगस्त 1947 को भारत देश को आजादी मिली और 26 जनवरी 1950 को भारत देश को लोकतान्त्रिक गणराज्य देश के रूप में घोषित किया गया.
सपनों का भारत
आज़ादी के साल हुए कई,
पर क्या हमने पाया है.
सोचा था क्या होगा लेकिन,
सामने पर क्या औया है.
रामराज्य-सा देश हो अपना
बापू का था सपना,
चाचा बोले आगे बढ़ कर
कर लो सब को अपना.
आज़ादी फिर छीने न अपनी
दिया शास्त्री ने नारा,
जय-जयकार किसान की अपनी
जय जवान हमारा.
सोचो इनके सपनों को हम
कैसे साकार करेंगे,
भ्रष्टाचार हटा देंगे हम
आगे तभी बढ़ेंगे.
मुश्किल नहीं पूरा करना
इन सपनों का भारत,
अपने अन्दर की शक्ति को
करो अगर तुम जाग्रत.
आओ मिलकर कसम ये खायें,
ऐसा सभी करेंगे,
शिक्षित हो अगर हर बच्चा,
उन्नति तभी हम करेंगे
इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना,
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने,
ऐसे तिरंगे को सदा अपने दिल में बसाये रखना||
माने भर में मिलते हैं आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नही होता,
नोटों में लिपट कर सोने में सिमटकर मरे हैं कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नही होता||
वो शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,
वो जज्बा जो कुर्बान हो जाये वतन के लिए,
रखते है हम वो हौसले भी जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए||
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